सामूहिक ताकत
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जनता का धन, देश की संपत्ति,
गुपचुप लूटी और लुटाई जाती है,
देशी - विदेशी बड़े घरानों को,
अकूत मुनाफा दिलाई जाती है।
मजदूर और किसान के श्रम को,
अपमानित करायी जाती है,
न्यूनतम मजदूरी, न्यूनतम मूल्य का
झांसा दे मन बहलाई जाती है।
दलीय हुकूमत को झूकाने के लिए,
सामूहिक ताकत दिखानी होती है,
जब तक जनता, दरबार न घेरे,
सरकारें तेल डाल कर सोती है।
दलें जाति - सम्प्रदाय आदि पर,
हमें वोट - बैक बनाए रखती है,
जब किसान - मजदूर वोट बैक बनेगा,
तभी लोकशाही आ सकती है।
महाराष्ट्र के आदिवासी एवं किसान भाईयों के सफल आंदोलन पर उनको बधाई!
उनकी सामूहिक ताकत को देखकर उनकी सभी माँगे मानने की बात राज्य सरकार ने
की है। हालांकि धरातल पर उसका पूर्ण क्रियान्वयन होगा इसपर अभी संदेह है।
वादे करके सरकार को मुकरते या तकनीकी अड़चन डालते हमने जनलोकपाल आंदोलन के
दौरान भी देखा है। आंदोलान को शांत करने के लिए सरकारे तत्कालिक घोषणाएँ
तो करती है पर दीर्घकालिक समाधान नहीं निकालती हैं। जब तक हम जाति -
समप्रदाय के नाम पर वोट - बैंक बने रहेंगे, दलीय लोकतंत्र हमें ठकता
रहेगा। जब हम ईमानदारी, नैतिकता, सदाचार, स्वराज आदि को अपना आधार
बनाएँगे तभी लोकतंत्र सफल हो पाएगा।
किसानों की माँगे मानने के साथ - साथ उन्हें वापस जाने के लिए केन्द्र
सरकार ने रेल सुविधा तथा राज्य सरकार ने बस सेवा दोनों उपलब्ध कराए। यह
किसान, मजदूर और आदिवासी भाईयों की संगठित एकता के कारण ही हो सका।
किसान, मजदूर और आदिवासी भाईयों को मांगों के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए
आगे भी जागरूक और जागृत रहना होगा।
समाचार लिंक :-
https://www.mumbailive.com/hi/politics/farmers-long-march-maharashtra-government-approved-80-percent-demand-of-farmers-on-loan-waiver-and-more-21415
Õm - Õnkār - Allāh - God…..
ॐ - ੴ - الله - † …….
Jai Hind! Jai Jagat (Universe)!
- ग़ुलाम कुन्दनम्
(Ghulam Kundanam).
13/03/2018
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